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9 जनवरी 2014

कॉलर ऑय दी वाला फ़ोन

आज फिर सर्द हवाए चल रही हैं कपडे धुप में सुखाने के लिय बाल्टी उठायी ही थी कि लैंडलाइन 

फ़ोन की घंटी बजी . लैंडलाइन की घंटी बजना यानी किसी अपने का फ़ोन ही होगा आज कल इस नंबर 

को कौन याद रखता हैं सब अपने अपने सेल में एक नंबर फीड कर लेते हैं और उस पर नाम चस्पा कर

देते हैं फलां का नंबर .और अगर कभी सेल फ़ोन बीमार पढ़ जाए तो वोह नंबर भी बीमार पढ़ जाता हैं 

जिसे पाने के लिय जान पहचान वालो के नंबर मिलाने पढ़ते हैं जो संयोग से याद रह जाए .घंटी एक बार

बंद होकर दुबारा बजनी शुरू हुयी .पक्का कोई अपना ही हैं बेसब्र बेताब सा ...... गीले कपड़ो के साथ 

भीतर जाना पडेगा सोचती हुयी मनीषा ने शाल उठाया और भीतर कमरे में चली गयी और जैसे ही 

उसने फ़ोन उठाया फ़ोन बंद हो गया गुस्से से चुपचाप लाल फ़ोन को घूरती रही कि कौन होगा फिर से फ़ोन 
की घंटी बजी उसने एक दम से फ़ोन उठाया और हेल्लो कहा .
एक ख़ामोशी सी थी दूसरी तरफ उफ्फ्फ्फ़ . हेल्लो हेल्लो बार बार कहने पर भी उधर से कोई आवाज़ नही 
आई ..मनीषा सोचने लगी क्या पता उनकी आवाज़ नही आ रही हो मुझ तक मेरी तो जा रही होगी न ..

. तो एक दम से बोली सु निये आप जो भी हैं मुझे आपकी आवाज़ नही आरही हैं अगर आपको मेरी 

आवाज़ आ रही हैं तो या तो फिर से कॉल मिलाये या मेरे सेल फ़ोन पर कॉल करे ...कहकर मनीषा ने 

फ़ोन रख दिया और इंतज़ार करने लगी क्या पता फिर बजे फ़ोन ...... पर .फ़ोन नही बजा  

फ़ोन के पहली बार खाली बजने और उसके दुबारा 

बजने के बीच के समय में घर की सूनी दीवारे भी बात करने लगती हैं और कल्पनाये होने लगती हैं कि 

उसका फ़ोन होगा इसका फ़ोन होगा .पता नही क्या बात होगी जो लैंडलाइन पर फ़ोन आया यह नंबर तो 

सिर्फ फलाने फलाने के पास हैं .उफ़ नही आ रहा कोई फ़ोन वोन .सोचते ही मनीषा ने बाहर आकर बाल्टी 


और कपडे सुखाने चल दी .............कौन हो सकता हैं हर गीले कपडे को झटकते हुए उसका मन एक 

नाम लेता और उसे झटक भी देता कि नही .. उसका नही हो सकता आजकल घंटिया कुछ ज्यादा ही बजने 

लगी हैं कही किसी बीमा पालिसी वाले एजेंट का ही नंबर न हो 

सुनहरी धुप धीरे धीरे सुरमई शाम में तब्दील हो गयी ..... रसोई 
में सब्जी बनती मनीषा गीत गुनगुना रही थी कि फिर से घंटिया बजने लगी तो उसने उसने झट से आंच 

धीमी की और कमरे में जाकर खिन्न होकर फ़ोन उठाया और थोड़े रुड स्वर में हेल्लो कहा . उधर से सिर्फ 

सांसे सुनाई दी उसका गुस्सा और बढ़ गया ........ "

"देखिये !!! आप जो भी हैं बात करिए या कॉल मत करिए" .......


"हेल्लो हेल्लो " .....
"" देखिये अब अगर फ़ोन किया तो मैं पुलिस में शिकायत कर दूँगी ."

कहते ही जैसे ही उसने फ़ोन रखना चाहा उसको एक आवाज़ सुनाई दी ".मणि .................. 
और हाथ से उसके रिसीवर गिर गया 
मणि!!!! यह नाम तो मुझे ......
.... उफ़ मेरा नंबर उसको कहाँ से मिला
हाँ सांसे भी वही थी गहरी सी 

कभी जिन सांसो से वोह पहचान जाती थी किसका फ़ोन हैं 

जिसके फ़ोन करने के तरीके से वोह घंटियों की भाषा पढ़ लेती थी 
मिस्ड कॉल की एक घंटी तो मिस्सिंग यू 
दो घंटी तो लव यू 
तीन घंटी तो कॉल मी
और आज भूल गयी उन सांसो की थिरकन को 
उधर से मणि मणि की आवाज़ के साथ हेल्लो हेल्लो सुनाई दिया तो उसने झट से रिसीवर उठाया ............ देखिये यहाँ कोई मणि नही रहती आजके बाद यहाँ कॉल न किया करे ......... कहकर फ़ोन रख दिया  
और इधर उधर देखते हुए अपनी धडकनों को सम्हालने की असफल कोशिश करने लगी .उसे मंगवाना ही

पड़ेगा अब तो कॉलर ऑय दी वाला फ़ोन


नीलिमा शर्मा